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Friday, August 13, 2010

मेरा विचार


कभी किसी कि बुराई नहीं करना चाहिए 



कभी भी किसी भी व्यक्ति  को किसी से किसी दूसरे व्यक्ति कि बुराई नहीं करनी चाहिये क्योंकि जो बुराई करते है वो व्यक्ति ये नहीं जानते है कि वह कितना गलत कर रहे हैं हालाकि कोई भी व्यक्ति जान बुझ कर किसी कि बुराई नहीं करता है कोई अपने परिवार से दुखी होकर परिवार कि बुराई करता है, कोई अपने बेटा बहू से दुखी होकर बेटा बहू कि बुराई करता है, कोई पडोसी अपने पड़ोस वाले व्यक्ति कि बुराई करता है तो कोई लड़का अपने अपने एक दोस्त कि बुराई दुसरे दोस्त से करता है वह तो बुराई करके दूर हो जाता है क्योंकि वह दुखी रहता है इसलिए वह बुराई करता है..............................................लेकिन 
क्या उसे मालूम रहता है कि वह जिस व्यक्ति से चाहे उसके बेटा बहू हो, चाहे पडोसी हो या चाहे फिर दोस्त हो वह उस तीसरे   व्यक्ति से वह सारी बुराई जो उसके बारे में करी जाती है वह उसको बताता है बल्कि अपनी तरफ से और दो चार बाते लगाकर उसको बताता है इससे उस व्यक्ति के मन में (जिसकी बुराई करी गयी है) उसे व्यक्ति के मन में उसके लिए धीरे धीरे नफरत जनम ले लेती है और यह नफरत कुछ दिनों बाद एक लावा बनकर उस दुसरे व्यक्ति (जो बुराई करता है) उस पर फूटती है . इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि कभी किसी कि भी बुराई किसी से नहीं करना चाहिए.........................अगर किसी इन्सान को किसी दुसरे व्यक्ति कि बात या परिवार कि बात समझ में नहीं आती है तो वह, वहां से उस समय हट जाये तथा बाद में या समय आने पर समुचित उत्तर दे..................
उदहारण :- १) एक सास उसकी बहू कि बुराई उसकी बेटियों से करती है उसकी नंदों से करती है उसकी देवरानियों से करती है लेकिन वह सास यह नहीं जानती है कि वह लोग उसकी बहू को बता भी सकते है चलिए मान लीजिये कि उस बहू को उसकी बुराई जो उसमें है ही नहीं वह उसको मालूम पड़ जाती है कि उसकी सास ने उसके बारे में जो बुराई करी है वह बुराई तो उसमे है ही नहीं फिर भी उन्होंने देवरानी और नंदों से बुराई करी उन्हों ने उसकी बुराई बता दी इससे बहू के मन में सास के प्रति द्वेष आ जाता है लेकिन आपको एक बात बता दूँ कि सास, बहू कि कितनी भी बुराई कर ले अंत में बहू ही काम आती है बेटियां, नंदे या देवरानियाँ नहीं....................................यह बात इंसान को दिमाक में रखनी चाहिए और इंसान से बुराई नहीं करनी चाहिए
२) जैसे राहुल, राम, तुषार आपस में दोस्त है तुषार ने राम से राहुल कि बुराई करी और राम ने जाकर राहुल से वह बुराई कह दी तो इससे राहुल के मन में तुषार के लिए द्वेष आयेगा और कभी कम पड़ने पर राहुल कभी तुषार के कम नहीं आयेगा........ 
इसलिए कभी नारद मुनि (बुराई) वाले काम नहीं करना चाहिए.......................................
 .............................मिलेंगे अगले विचार के साथ.............................................................

शुक्ला

3 comments:

  1. सत्यवचन .... विचारों से सहमत हूँ ...आभार

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  2. नहीं करनी चाहिए ...मगर कुछ लोगों का कारोबार ही यही है ...!

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  3. achi post...............................

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